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शाला मित्र संघ, गुजरात

शाला मित्र संघ की स्थापना 30 जून 2015 को हूल दिवस के अवसर पर हुई थी| हम जानते हैं कि 30 जून 1855 को अब के झारखण्ड के संथाल परगना में सिद्धू- कान्हू के नेतृत्व में अंग्रेजी सरकार के विरूद्ध निर्णायक लड़ाई शुरू की थी| लेकिन मुख्यधारा का इतिहास इस लड़ाई को आज़ादी की पहली लड़ाई नहीं मानता|

शाला मित्र संघ की स्थापना शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अमलीकरण, पूर्व प्राथमिक से सेकेंडरी स्तर तक की शिक्षा को RTE के दायरे में लाने के लिए पैरवी, पौलिसी के लिए पैरवी, सामुदायिक नेतृत्व के द्वारा स्कूलों की निगरानी, समुदाय द्वारा स्कूलों का वास्तविक प्रबंधन अपने हाथ में लेने की प्रकिर्या को तेज़ करना व शिकायत निवारण तंत्र को मज़बूत करना के उद्देश्य से हुई|

आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है कि अपनी स्थापना के 2 वर्ष पूरा होने पर शाला मित्र संघ गुजरात नें अपनी नियमित पहुँच 16 जनपदों (अहमदाबाद, साबरकांठा, अरवल्ली, बनासकांठा, मेहसाणा, पाटन, राजकोट, मोरबी, कच्छ, तापी, नर्मदा, दाहोद, सुरेंद्रनगर, आणद, सूरत, वड़ोदरा) के 30 तालुकाओं के 1000 प्राथमिक विद्यालयों की नियमित सामुदायिक निगरानी प्रणाली के ज़रिये वंचित समुदायों को प्राथमिक शिक्षा को देने के सरकार के वचन को पूरा कराने के लिए सामुदायिक स्वयंसेवकों की टीम के ज़रिये प्रयास कर रहे हैं|

शाला मित्र संघ नें मात्र 2 वर्ष में सामुदायिक निगरानी प्रणाली को विकसित किया व राज्य के 1000 प्राथमिक विद्यालयों व इतने ही आंगनबाड़ी केन्द्रों की नियमित निगरानी, पैरवी के ज़रिये शिक्षा अधिकार को सही मायनो में लागू करवाने में अपनी प्रभावी भूमिका अदा की है| संघ नें पूर्व प्राथमिक शिक्षा के केंद्र आंगनबाड़ी सेंटर पर मूलभूत सुविधाओ के लिए गुजरात हाईकोर्ट में जनहित याचिका कर केन्द्रों पर सुविधाओ का भौतिक विस्तार कराना एक बड़ा काम रहा| संघ एक सदयस्ता आधारित संगठन है, जिसके सदस्य सेवानिवृत्त अधिकारी, निर्वाचित जनप्रतिनिधि, सामुदायिक नेतृत्व, युवा हैं| ये सभी समाज को अपनी सेवाएँ बिना किसी मूल्य के दे रहे है| ये सदस्य शाला मित्र संघ की असली ताक़त है|

शाला मित्र संघ नें 1000 प्राथमिक विद्यालयों में RTE के नियमों को लागू कराने व इतने ही आंगनबाड़ी केन्द्रों मूलभूत सुविधाओं का विस्तार में योगदान के अलावा शिक्षा के स्वरुप को लेकर भी राज्य, राष्ट्रीय स्तर पर पैरवी की है| शिक्षा के धर्मनिरपेक्ष स्वरुप को लेकर व हाल में शिक्षा से जुडी हुई वस्तुओं पर टैक्स दरों की बढ़ोतरी के लिए केंद्र सरकार से दरें कम करने की पैरवी की, जिसके चलते स्कूल बैग पर 28% से घटाकर 18%, नोट बुक्स पर 18% से घटाकर 12% GST किया गया है| इस पैरवी में आंशिक सफलता प्राप्त हुई है| शाला मित्र संघ शिक्षा में बजट आवंटन पर भी नज़र रखता है व राष्ट्रिय, राज्य के बजट के समय त्वरित प्रतिक्रिया देता है|

शाला मित्र संघ अपने विस्तृत स्वरुप के चलते शिक्षा अधिकार के मुद्दे पर राज्य का सबसे बड़ा वालंटियर संगठन का रूप ले चुका है| संगठन में सभी साथी बिना मूल्य अपना योगदान देते हैं| आप सभी के सहयोग से आगामी 2 वर्षों में संगठन की पहुँच राज्य के प्रत्येक जनपद में होगी ऐसा लक्ष्य लेकर हम आगे बढ़ रहे है|

पुनः सभी को धन्यवाद जिनके सहयोग व ऐसे कार्य जिनसे इस संघठन की स्थापना व राज्य का सबसे बड़ा शिक्षा अधिकार के लिए वालंटियर संगठन बनाने की शक्ति मिली|

शिक्षा सम्बन्धी अद्यतन जानकारी के लिए आप संगठन की वेबसाइट www.shalamitra.com  व फेसबुक पेज shala mitra sangh को विजिट करें|

पुनः धन्यवाद

 

आपका

मुजाहिद नफ़ीस

कन्वेनर

शाला मित्र संघ

 

जिंदा रहना है तो हालात से डरना कैसा,

जंग लाजिम हो तो लश्कर नहीं देखे जाते||

(मेराज फैजाबादी)

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